Upkalpna kya hai – नमस्कार दोस्तों आपका मेरे ब्लॉग pramodblog पर स्वागत है आज कि यह पोस्ट बहुत ही खास होने वाली है क्योकि आज हम आपको इस पोस्ट में उपकल्पना के बारे में विस्तार से जानकारी देने वाले है उपकल्पना वह होता है जो पहले से कोई किसी भी प्रकार का कोई भी विचार सोचा गया हो या फिर किसी भी प्रकार से चिंतन किया गया हो जो कि सामाजिक तथ्यों तथा किसी भी प्रकार कि घटना कि खोज के बिषय में ज्ञान को बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है तो दोस्तों चलिए दोस्तों विस्तार से जानते है ?
उपकल्पना क्या है ? (what is Upkalpna)
upkalpna in hindi – ‘उपकल्पना’ का शाब्दिक अर्थ है ‘पूर्व-चिन्तन’ अर्थात् पहले से सोचा गया कोई विचार या चिन्तन। उपकल्पना एक प्रारम्भिक अथवा प्राथमिक कल्पना विचार या आधार है जो सामाजिक तथ्यों एवं घटनाओं की खोज करने तथा उसके विषय में ज्ञान प्राप्ति हेतु प्रेरणा प्रदान करता है। इन उपकल्पना में परिवर्तन की क्षमता या गुन्जाइश रखी या मानी जाती है।
उपकल्पना की कुछ प्रमुख परिभाषाएँ –
1. गुड़े तथा स्केट्स के अनुसार- “उपकल्पना एक अनुमान है कि जिसे अन्तिम अथवा अस्थायी रूप से किसी अवलोकित तथ्य अथवा दशाओं की व्याख्या हेतु स्वीकार किया गया हो एवं जिससे अन्वेषण को आगे पथ-प्रदर्शन प्राप्त होता है।”
2. एडवर्डस – “उपकल्पना दो या दो से अधिक चरों (Vaira-bles) के सम्भाव्य सम्बन्ध के विषय में कथन होता है, यह एक प्रश्न का ऐसा प्रयोग सम्बन्धी उत्तर होता है कि जिससे चर के सम्बन्ध का पता लगाया जाता है।”
3. करलिन्जर- “एक उपकल्पना दो या दो से अधिक चरों के सम्बन्ध के विषय में एक कल्पनात्मक कथन होता है।”
4. लुण्डबर्ग- “उपकल्पना एक प्रयोग सम्बन्धी सामान्यीकरण है जिसकी वैधता की जाँच होती है। अपने मूल रूप में उपकल्पना एक अनुमान अथवा कल्पनात्मक विचार हो सकता है जो आगे के अनुसंधान के आधार पर बनता है।”
5. गुडे व हाट के अनुसार- “उपकल्पना इस बात का वर्णन करती है कि हम क्या देखना चाहते हैं। उपकल्पना भविष्य की ओर देखती हैं। यह एक तर्कपूर्ण वाक्य है, जिसकी सत्याता सिद्ध करने के लिए उसका परीक्षण किया जा सकता है। यह सही भी सिद्ध हो सकता है और गलत भी।”
उपरोक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट है कि उपकल्पना समस्या सम्बन्धी ऐसा विचार है जिसे केन्द्र बिन्दु मानकर अध्ययनकर्त्ता बार-बार उसी की ओर मुड़कर तथ्य संकलन हेतु प्रेरणा प्राप्त करता है। उदाहरण के लिये एक व्यक्ति को जिसे स्टेशन से किसी निश्चित स्थान पर जाना है, आसानी से पहुँचने में तब सुविधा होगी जबकि उसे कुछ पूर्व कल्पना उस स्थान के बारे में हो। इस प्रकार उपकल्पना की सहायता से व्यक्ति सही उद्देश्य की ओर अग्रसर होता है।
कार्यकारी उपकल्पना की मुख्य विशेषताएँ –
- उपकल्पना अपने से सम्बन्धित समस्या के समाधान का एक सम्भावित प्रस्ताव (Proposition) होता है।
- उपकल्पना तथ्यात्मक परीक्षण के योग्य होती है।
- उपकल्पना का सम्बन्ध किसी समस्या के एक विशिष्ट पक्ष से होता है।
- उपकल्पना का वैज्ञानिक तथ्यों से घनिष्ठ सम्बन्ध होता है।
- उपकल्पना में दो या दो से जायदा चर (Variables) होते हैं।
- उपकल्पना सामाजिक तथ्य एवं घटनाओं की खोज करने तथा उसके विषय में ज्ञान प्राप्ति हेतु प्रेरणा प्रदान करती है।
उपकल्पना के स्त्रोत –
सामान्यतया उपकल्पना के निर्माण के दो स्त्रोत हो सकते हैं-
(i) निजी – अनुसंधानकर्ता की स्वयं की सूझ, विचार, दृष्टिकोण तथा कल्पना भी उपकल्पना के निर्माण में सहायक होती हैं।
(ii) ब्राह्य – इसके अन्तर्गत किसी भी अन्य क्षेत्र जैसे कविता साहित्य, दर्शन, समाजशास्त्र विस्तृत वर्णनात्मक साहित्य व नवशास्त्र तथा कलाकारों के काल्पनिक विचार और दार्शनिकों के सिद्धान्त आदि शामिल किये जाते हैं।
एम. एच. गोपाल के अनुसार उपकल्पना के निम्नलिखित उद्गम स्रोत हैं-
- सांस्कृतिक पर्यावरण
- लोक बुद्धि अथवा प्रचलित विश्वास एवं प्रथायें।
- विशेष विज्ञान ।
- समरूपता ।
- स्वीकृति सिद्धान्तों के अपवाद।
- वैयक्तिक अनुभव एवं व्यक्तिगत प्रतिक्रियाएँ।
गुडे व हाट ने उपकल्पना के निम्नलिखित उद्गम स्त्रोत बतलाये हैं-
1. सामान्य संस्कृति –
- सांस्कृतिक पृष्ठभूमि – प्रत्येक समुदाय के अपने रहन-सहन, खान-पान, आचार- विचार प्रथायें आदि होते हैं। इन्हें हम सामान्य संस्कृति का नाम दे सकते हैं। यह सामान्य संस्कृति स्वयं ही उपकल्पना निर्माण के लिए विभिन्न स्रोत उपलब्ध कर देती हैं।
- सांस्कृतिक चिन्ह – इसके अन्तर्गत किसी समाज के लोक ज्ञान (Folklore) के विभिन्न अंग जैसे लोक विश्वास, लोक कहावतें, दोहे, मान्यतायें, निषेद, लोक साहित्य आदि आते हैं। इनके आधार पर प्रचलित सामान्य अभिव्यक्तियों की सत्यता का वैज्ञानिक परीक्षण सम्भव हो सकता है तथा इन्हें उपकल्पना के रूप में माना जा सकता है।
- सामाजिक सांस्कृतिक परिवर्तन – समय के साथ-साथ एक ही संस्कृति विशेषकर उसके संस्थात्मक ढाँचे (Institutional Setup) के विभिन्न अंगों में परिवर्तन की प्रवृत्ति पायी जा सकती है। प्राचीन मान्यताओं को नवीन सामाजिक परिवर्तन से आघात पहुँचता है। यह परिवर्तन उपकल्पना का निर्माण आधार बन सकता है।
2. वैज्ञानिक सिद्धान्त –
सभी विज्ञान स्वयं उपकल्पना के स्रोत हैं। प्रत्यक विज्ञान के विषयों से सम्बन्धित अनेक सामान्यीकरण (Generalization) प्रचलित होते हैं। उनके अन्तर्गत सम्मिलित पक्षों (Aspects) के सम्बन्ध में प्राप्त ज्ञान भी उपकल्पनाओं का स्रोत माना जा सकता है।
3. समरूपतायें –
इसका अभिप्राय दो विषयों अथवा घटनाओं में समानता से है। दो व्यवहारों में समानता क्यों है और किस सीमा तक है? उदाहरण के लिए मानव व्यवहार एवं पशु व्यवहार में समानता, मानव प्रेरणा तथा पशु प्रेरणा में समान आदि ले सकते हैं।
4. व्यक्तिगत अनुभव –
व्यक्तिगत अनुभव भी उपकल्पना का आधार होता है।
उपकल्पना के प्रकार (type of upkalpna)
गुडे और हाट के अनुसार उपकल्पना की तीन श्रेणियाँ या प्रकार है-
1. परीक्षात्मक एकरूपता दर्शाने वाली उपकल्पनाएँ –
सामूहिक जीवन में प्रचलित विचार या मान्यताओं के आधार पर जो उपकल्पना बनाई जाती है वह इस श्रेणी में आती है। इस प्रकार की उपकल्पनाओं का परीक्षण केवल समान तथ्यों की जाँच करके कर लिया जाता है। उदाहरणार्थ हमारे समाज में यह बात प्रचलित है कि भूरी आँखों वाला व्यक्ति चालाक होता है। इस प्रकार भूरी आँखों वाले व्यक्तियों की खोज के आधार पर इस उपकल्पना की सत्यता परखी जा सकती है।
2. जटिल आदर्श रूप से सम्बन्धित उपकल्पनाएँ –
कारकों में तार्किक अन्तः सम्बन्ध स्थापित करने के लिये इस प्रकार की उपकल्पनाएँ बनायी जाती हैं। इस सम्बन्ध को आदर्श रूप मानकर खोज की जाती है।
3. विवेचनात्मक परिवर्तनशीलताओं के सम्बन्ध को बताने वाली उपकल्पनाएँ –
सामाजिक घटनाएँ किसी एक कारक का परिणाम नहीं होतीं। अनेकों कारण एक ही सामाजिक तथ्य से सम्बन्धित हो सकते हैं। सामाजिक घटना से सम्बन्धित प्रत्येक कारक की उपकल्पना का आधार हो सकता है। किन्तु जब परिवर्तन लाने वाले भिन्न-भिन्न कारकों के अन्तर्सम्बन्ध ज्ञात करना होता है तो इस प्रकार की उपकल्पना का निर्माण किया जाता है। उदाहरणार्थ, अपराध के कई कारण है जैसे गरीबी, असंगठित घर, अधिक लाड़-प्यार, संगति, राजनैतिक व्यवस्था आदि। तर्क के आधार पर इन कारकों में अन्तर्सम्बन्ध स्थापित करने के लिए इस प्रकार का निर्माण किया जाता है।
FAQ’S
1. परीक्षात्मक उपकल्पनाएँ क्या होती है ?
इस प्रकार की उपकल्पनाओं का परीक्षण केवल समान तथ्यों की जाँच करके कर लिया जाता है।
2.कार्यकारी उपकल्पना की मुख्य विशेषताएँ कितनी है ?
उपकल्पना कि मुख्य विशेताए 06 होती है ।
Conclusion (निष्कर्ष)
तो दोस्तों आपको मेरी यह पोस्ट उपकल्पना क्या है? इसकी विशेताए,प्रकार को बताइये। (type of upkalpna ) कैसी लगी मुझे आशा है कि आपको मेरी यह पोस्ट आपको बहुत ही अच्छी और हेल्पफुल रही होगी अगर आपका इस पोस्ट से रिलेटेड कोई भी सवाल है तो comment करे और अपने दोस्तों के साथ शेयर करे ।